Berojgari ki Samasya Par Nibandh : बेरोजगारी समस्या पर निबंध

Berojgari ki samasya par nibandh

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (Berojgari ki samasya par nibandh) में हम आपको यहाँ बेरोजगारी की परिभाषा, इसके प्रकार और बेरोजगारी दूर करने के कुछ मुख्य उपाय के वारे में बात करेंगे । बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो बेरोजगार युवाओं के लिए चिंता का विषय है ।

Berojgari ki samasya par nibandh

प्रस्तावना :- केवल हमारे भारत में ही नहीं बल्कि आज दुनियाभर में एक गंभीर समस्या बनी हुई है । विश्वभर के विकसित और विकासशील देश आज इस बेरोजगारी की समस्या से परेशान हैं । मनुष्य को औद्योगीकरण और नगरीकरण ने जहाँ अनेकों सुविधाएँ दी हैं वहीँ दूसरी और गरीवी और बेरोजगारी भी दी है । बेरोजगारी सिर्फ आर्थिक समस्या नहीं है बल्कि यह सामाजिक समस्या भी है । बेरोजगारी की समस्या गाँव की तुलना में नगरीय समाज में अधिक गंभीर और जटिल है ।

बेरोजगारी की परिभाषा

बेरोजगारी का मतलब है जब कार्य किसी करने के इच्छुक, योग्य और प्रयत्न करने के बाद भी व्यक्ति को देश में प्रचलित मजदूरी की दर पर काम नहीं मिल पाता है । अर्थात रोजगार से रहित होने की स्थिति को बेरोजगारी कहते हैं ।

बेरोजगारी को कुछ महान विद्वानों ने कुछ इस तरह परिभाषित किया है –

फ्लोरेंस के अनुसार – “बेरोजगारी को उन व्यक्तियों की निष्क्रियता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो कार्य करने के योग्य हो और इच्छुक हों”।

लीग ऑफ़ नेशन्स के अनुसार – “एक बेरोजगार व्यक्ति वह है जो मजदूरी के लिए काम की तलाश में है और अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार कार्य पाने में असफल रहा हो”।

Berojgari ki samasya को इन परिभाषाओं से यह साबित होता है कि बेरोजगारी की कुछ जरूरी शर्ते होती हैं; जैसे- काम करने की इच्छा, योग्यता, क्षमता, कोशिश और पर्याप्त वेतन आदि । अगर प्रचलित मजदूरी की दरों पर कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह काम करने के लिए तैयार नहीं हैं तो उस स्थिति को बेरोजगारी नहीं कहा जा सकता है ।

जब किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता अनुसार काम नहीं मिलता या अगर मिलता भी है तो उसे उसकी योग्यता और उसकी क्षमता के मुताबिक उसको सही पद नहीं मिल पाता है । तो बेरोजगारी कहा जा सकता है ।

बेरोजगारी के प्रकार

सामान्य रूप से बेरोजगारी निम्नलिखित प्रकार की होती है जिसके बारे में डिटेल्स में बताया गया है –

  1. तकनीकी बेरोजगारी – जब उत्पादन में सुधार किया जाता है तो बहुत सारे मजदूरी बेरोजगार हो जाते हैं । जिस काम को कई आदमी मिलकर कई दिनों में पूरा करते हैं वहीँ एक या दो आदमी उसी काम को तकनीकी मदद से बहुत जल्द पूरा कर देते हैं ।
  2. मौसमी बेरोजगारी – कुछ काम ऐसे होते हैं जो ऋतुओं के हिसाब से चलते हैं; जैसे- गर्मी के मौसम में बर्फ का रोजगार बहुत तेजी से होता है लेकिन जब सर्दी आती हैं तो यह रोजगार बंद हो जाता है और इससे जुड़े अधिकतर मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं ।
  3. चक्रीय बेरोजगारी – जिस समय व्यापार में मंदी आती है उस समय बहुत सारे मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं ।
  4. अर्द्ध बेरोजगारी – कभी कभी ऐसा होता है कि काम कम होता है और उसे करने वाले अधिक हो जाते हैं ऐसे में उन्हें पूरा काम नही मिल पता है । यह अर्द्ध बेरोजगारी कहलाती है ।
  5. शिक्षित बेरोजगारी – शिक्षा और रोजगार के अवसरों में संतुलन न होने के कारण ज्यादातर नगरों में शिक्षित बेरोजगारी होती है । आज भारत में उच्च योग्यता रखते हुए भी बेरोजगारी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं ।

बेरोजगारी के कारण

किसी भी देश में बढती बेरोजगारी के अनेकों कारण हो सकते हैं । यहाँ हम भारत में होने वाली बेरोजगारी के कुछ कारण के वारे में बात करेंगे ।

  1. नगरीकरण – आजकल गाँव से शहर की तरफ लोग बहुत तेजी से जा रहे हैं । लोगों का गॉंव छोड़कर नगर में जाकर रहना नगरीकरण कहलाता है । ऐसे में शहर में आबादी बढ़ने लगती है और सबको काम मिलना मुश्किल हो जाता है ।
  2. सीमित व्यापारिक सुविधाएँ – समाज में व्यापारिक सुविधाएँ सीमित होने के कारण सभी को रोजगार नहीं मिल पाता है । यह भी बेरोजगारी का एक कारण है ।
  3. जनसंख्या में वृद्धि – भारत में बढती जनसँख्या यहाँ की बेरोजगारी का मुख्य कारण है । अधिक जनसंख्या होने के कारण सबको काम मिलना संभव नहीं है ।
  4. औद्योगीकरण तथा आर्थिक मंदी – उत्पादन तो खूब होता है लेकिन उत्पादन के अनुपात में इसकी मंहगाई के कारण खपत नहीं हो पाती है । जिस कारण कारखानों को बंद कर दिया जाता है और वहां पर काम करने वाले लोग बेरोजगार हो जाते हैं ।
  5. तकनीकी शिक्षा का आभाव – इसके आभाव के कारण विभिन्न उद्दोगों के वारे में प्रशिक्षित नहीं किया जाता है । जिसके कारण नई तकनीकी के लिए बहुत कम लोग तैयार हो पाते हैं ।
  6. शारीरिक श्रम से नफरत – भारत में जयादातर शिक्षित नवयुवक शारीरिक श्रम से नफरत करते हैं और अच्छी नौकरी की तलाश में लगे रहते हैं । इस तरह वो अपने जीवन का लम्बा समय बर्बाद कर देते हैं ।

बेरोजगारी की समस्या दूर करने के उपाय

किसी भी देश की बेरोजगारी को पूरी तरह ख़त्म करना आसान नहीं है । यह संभव है कि काफी हद तक बढती बेरोजगारी को कम किया जा सकता है । भारत में लगातार बेरोजगारी बढती जा रही है हालाँकि सरकार इस बढती बेरोजगारी पर ध्यान दे रही है लेकिन यह गंभीर रूप से सोचने का विषय है।

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यहाँ हमने बेरोजगारी को दूर करने के कुछ उपाय बताये हैं जिनकी मदद से बेरोजगारी को कुछ हद तक कम किया जा सकता है और ज्यादा से ज्यादा लोगो को रोजगार मिल सकता है । बेरोजगारी दूर करने के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं –

  1. बेरोजगारी की समस्या (Berojgari ki samasya) को हल करने के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार किया जाना चाहिए और पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा की सुविधा होना चाहिए ।
  2. कुटीर उद्दोगों धंधों के विकास अधिक होना चाहिए जिससे बेरोजगारी को कम किया जा सकता है ।
  3. अभिनवीकरण को सीमित रखना चाहिए । जो कार्य कई लोगों के श्रम से संभव हो वहां पर मशीनों का काम सीमित रखना चाहिए ।
  4. गाँव में कृषि, पशुपालन, मुर्गी पालन जैसे जितने काम हो सकते हैं उनमे सरकार को अधिक से अधिक ध्यान देना चाहिए ।
  5. गाँव में बिजलीघर स्थापित करना चाहिए ताकि वहां पर अधिक मात्रा में छोटे बड़े सभी प्रकार के व्यवसाय शुरू हो सके ।

उपसंहार

बेरोजगारी की समस्या एक गंभीर समस्या है सबको मिलकर इससे निपटना है । ऐसे निजी व्यवसाय शुरू करने की कोशिश करें ताकि दूसरों को भी काम मिल सके । और इस बेरोजगारी की समस्या से निपटा जा सके ।