होली पर निबंध 200 शब्दों में
Holi per nibandh- होली हिन्दू धर्म का एक मुख्य त्योहार है. इस त्योहार पर होली का दहन होता है और लोग एक दुसरे के ऊपर रंग ड़ालते हैं.
होली के अवसर पर लोग बहुत मौज मस्ती करते हैं. यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
कहा जाता है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था, जो स्ववं को ही भगवान मानता था. हिरण्यकश्यप का पुत्र जिसका नाम प्रहलाद था जो भगवान विष्णु का भक्त था. प्रहलाद को मारने के लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ उसको चिता में डाल दिया था.
लेकिन उस चिता में उसकी हिरण्यकश्यप की बहन जलकर राख हो गयी और प्रह्लाद सुरक्षित बच गया था. जब से ही इस त्योहार को लोग मनाते आ रहे हैं.
होली को रंगों का त्योहार भी कहा जाता है इस दिन हिन्दू धर्म के मानने वाले सभी लोग एक दूसरे के ऊपर तरह तरह के रंग ड़ालते हैं.
सड़कों व चौराहों पर रंग बिरंगे रंगों से रंगोली भी बनाते हैं और सारा दिन खूब मौज मस्ती करते हैं.
इस दिन सभी लोग आपस में एक दूसरे से गले मिलते हैं. और होली की शुभ कामनाएँ देते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि यह त्योहार हमे आपस में प्रेम से रहना सिखाता है.
होली पर विस्तृत निबंध
प्रस्तावना:- Holi per nibandh, होली हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है. यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. यह त्योहार वर्ष में सिर्फ एक बार आता है जिसे लोग बड़ी धूमधाम में मनाते हैं.
भारत और नेपाल में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और इसके अलावा इस त्योहार को लोग भिन्न भिन्न स्थानों पर भिन्न भिन्न तरीके से मनाते हैं. होली और दिवाली के पर्व भारत में बड़ी धूमधाम से मनाये जाते हैं.
लेकिन एक बात सभी में कॉमन है कि इस त्योहार पर लोग आपस में एक दुसरे के ऊपर रंग डालते हैं. इसलिए होली को रंगों का त्योहार भी कहते हैं. होली की तैयारियाँ पहले से ही होने लगती हैं.
बाजार में रंगों की दुकाने रंग विरंगे, सभी तरह के रंगों से भरी होती है. लोग चौराहों आदि पर सड़क पर रंगों की मदद से रंगोली की डिज़ाइन बना देते हैं जो बहुत सुन्दर लगती है.
होली पर्व का महत्व
होली के पर्व का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व है; क्यूंकि कहा जाता है कि इस दिन बुराई पर अच्छाई ने विजय प्राप्त की थी.
वर्षों से चला आ रहा यह पर्व हमारे जीवन में खुशियाँ लाता रहा है. इस पर्व के सुभ अवसर पर लोग आपस में प्रेम से रहते है और एक दुसरे के ऊपर रंग गुलाल आदि डालते हैं.
बच्चे भी अपने हाथों में रंगों से भरी पिचकारियाँ लिए घूमते है, और मौज मस्ती करते हुए एक दुसरे पर पिचकारी से रंग ड़ालते हैं. इसके साथ साथ पानी से भरे गुब्बारे भी एक दुसरे के मारते हैं. और इस तरह से सारा दिन आपस में हँसी मजाक चलता रहता है.
कुछ लोग तो तो इतनी मस्ती करते हैं कि किसी एक बड़े से टब या नांद आदि में खूब सारा रंग घोल लेते हैं और अपने साथी को उसी में उठा कर डाल देते है. सभी लोग इस दिन मस्ती के मूंड में होते हैं इसलिए कोई भी किसी कि ऐसी वैसी हरकत पर क्रोधित नहीं होता है.
लोग इस दिन एक दुसरे को पूरी तरह रंगीन कर कर देते हैं. इस दिन बच्चे बूढ़े और जबान सभी तरह तरह के रंग में रंगे हुए दिखाई देते है. और इस दिन घर में भी तरह तरह के पकवान बनाये जाते हैं.
होली मनाये जाने का कारण
होली के मनाने के पीछे की कथा बड़ी ही दिलचस्प है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था. यह राजा बहुत क्रूर था जो स्ववं को ही भगवान मानता था. इस राजा के भक्त सिर्फ इसी की पूजा करते थे.
हिरण्यकश्यप का एक पुत्र जिसका नाम प्रहलाद था जो भगवान विष्णु का भक्त था. राजा ने अपने पुत्र को विष्णु जी की पूजा करने को मना किया लेकिन वह नहीं माना. इससे राजा हिरण्यकश्यप नाराज़ हुआ क्यूंकि वह चाहता था कि उसका पुत्र भी उसकी ही पूजा करे.
हिरण्यकश्यप के मना करने के बाद भी उसका पुत्र प्रह्लाद ने विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी तो हिरण्यकश्यप ने अपने ही पुत्र को जान से मारने की योजना बना ली. राजा ने कई बार अपने पुत्र को मारने की कोशिश की लेकिन हर बार असफल हुआ.
अंत में हार कर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को इस योजना में शामिल किया. होलिका एक ऐसी युवती थी जिसको भगवान शंकर जी ने एक ऐसी चादर दे रखी थी जिसको ओढने पर आग असर नहीं करती थी.
हिरण्यकश्यप की योजना के अनुसार होलिका वही चादर ओढ़ कर प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गयी. लेकिन हुआ यह कि होलिका तो जल गयी और प्रहलाद बिल्कुल सुरक्षित बच गया.
और इस तरह अच्छाई ने बुराई पर विजय प्राप्त कर ली. जब से ही यह त्योहार होली के रूप में मनाया जा रहा है. इसी परम्परा को याद रखने हेतु होली का दहन किया जाता है और सब लोग आपस में मिलझुल कर बड़े प्रेम सदभाव के साथ यह त्योहार मनाते हैं.
होली मनाये जाने का समय
होली का त्योहार हर वर्ष वसंत ऋतु मे मनाया जाता है. और यह त्यौहार हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. फाल्गुन माह मे मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते है.
यह त्यौहार वसंत पंचमी से ही प्रारंभ हो जाता है. इस समय मौसम बहुत सुहावना होता है. क्यूंकि वसंत ऋतु सभी ऋतुओं से बेहतर होती है, इसमें अधिक गर्मी भी नहीं होती है और ना ही अधिक शर्दी होती है.
तो ऐसे मौसम में यह त्योहार और ज्यादा आनन्द देता है. लोग कई दिन पहले से जिस जगह होली दहन होती है वहीँ पर ईधन, लकड़ी और कंडे आदि इकट्टे करते रहते हैं. और जब होली के दहन का समय आता है तब इसमें आग लगा दी जाती है.
लोग उसके चारो तरफ नाच गाना करते हैं. होली गीत गाये जाते हैं तथा एक दुसरे पर रंग डालना शुरू कर देते हैं. इसके अगले दिन सभी लोग स्नान करके नए नए कपडे पहन कर एक दुसरे के घर जाते हैं और आपस में गले मिलते हैं. और एक दुसरे को होली की सुभ कामनाएँ देते हैं.
उपसंहार
होली का त्योहार हर वर्ष बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. यह त्योहार बुराई को त्यागने का प्रतीक है. इस पर्व के सुभ अवसर पर लोग एक दुसरे के गले लगते हैं. इससे आपस में प्रेम और सम्मान बड़ता है.
लोगो को चाहिए के इस त्योहार के मौके पर आपस में ईष्र्या न रखे और सारे गिले सिक्वे भुलाकर सच्चे मन से एक दुसरो को गले लगाये. सबको सम्मान दे और किसी के साथ किसी भी तरह का कोई भेदभाव ना रखे. आपस में प्रेम और शांति से रहे.
होली पर निबंध हिंदी में 10 लाइन
- होली हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो वर्ष में एक बार आता है.
- इस त्योहार को रंगों का त्योहार भी कहते हैं क्यूंकि इस दिन लोग एक दूसरे के ऊपर रंग डालते है. और खूब मौज मस्ती करते हैं.
- होली का त्योहार वसंत ऋतु में आता है, उस समय मौसम बहुत अच्छा होता हैं.
- होली के अवसर पर लोग एक दूसरे के गले मिलते हैं और आपस में प्रेम से रहते हैं.
- यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
- इस दिन चारो तरफ काफी चहल पहल होती है.
- यह त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है.
- इस त्योहार पर घरो में कई तरह के पकवान बनते है.
- होली का त्योहार भारत और नेपाल में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.
- इस त्योहार पर सभी लोग खुश दिखाई देते हैं और होली गीत भी गाते हैं. चारो तरफ ख़ुशी का माहौल होता है.