Humayun ka Jivan Parichay | हुमायूँ इन हिंदी में इनका जीवन परिचय

 इस पोस्ट में हम आपको हुमायूँ का जीवन परिचय (Humayun ka jivan parichay) और उनके मकबरे के बारे में बात करेंगे. हुमायूँ कौन था और उनका शासन आदि के वारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी . हुमायूँ का मकबरा कहाँ है और किसने बनवाया था इसके बारे में आपको इस आर्टिकल में मिलेगा.

Humayun ka Jivan Parichay

हुमायूँ का जीवन परिचय

Humayun ka jivan parichay – हुमायूँ का पूरा नाम नसीरुद्दीन हुमायूँ था. इनका जन्म मार्च सन 1508 में काबुल में हुआ था. इनके पिता का नाम बाबर था. बाबर के चार पुत्र थे जिनमे सबसे बड़े हुमायूँ थे. अपने भईयों में सबसे बड़े होने की वजह से ही इनको मुगलिया सल्तनत का राजा बनाया गया था.

बाबर ही वो मुग़ल बादशाह था जिसने भारत में मुग़ल साम्राज्य की नीव रखी थी. बाबर के ज़माने से भारत में मुग़ल सल्तनत का दौर शुरू हुआ.

हुमायूँ की पत्नियों के नाम हमीदा बानू बेगम, बेगा बेगम, विगेह बेगम, चाँद बीबी, हाजी बेगम, निवेह जान, माह चुचक और शहज़ादी खानम था. यह अपनी बीबियों से बहुत प्रेम करते थे. इनकी बीबियाँ भी इन्हें बहुत पसंद करती थीं. यही वजह थी कि इनके मरने के बाद इनकी एक बिधवा बीबी जिनका नाम हमीदा बनो बेगम था उन्होंने अपने पति का एक बहुत ही खुबसूरत मकबरा बनवाया था.

हुमायूँ बादशाह का इतिहास

Humayun history in hindi हुमायूँ अपने पिता के बाद भारत का मुग़ल शासक था. वैसे तो इन्होने ज्यादा समय तक भारत में अपना राज्य नहीं किया था लेकिन फिर भी भारत में मुग़ल साम्राज्य की नीव रखने में इनका अपने पिता के साथ साथ खुद का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है.

अपने पिता बाबर की मृत्यू के बाद इन्होने 29 दिसम्बर सन 1530 में भारत की गद्दी को संभाल लिया था. हुमायूँ के पिता ने इनसे मरते वक्त कहा था के अपने भाइयों को कभी मत छोड़ना, लेकिन इनके सौतेले भाई कामरान मिर्जा बहुत कमीने निकले.

जब हुमायूँ ने भारत की गद्दी हासिल की तभी उनके भाई कामरान मिर्जा ने काबुल और लाहौर का शासन संभाल लिया. क्यूंकि इनके पिता ने मरने से पहले दोनों भाईयों में शासन को बाँट दिया था.

हुमायूँ ने अपने भाई कामरान मिर्जा के साथ कभी कोई गद्दारी तो नहीं की थी लेकिन फिर भी कामरान ने कई बार उनके साथ धोखा किया क्यूंकि वो हुमायूँ का शासन भी छीन लेना चाहता था. लेकिन ऐसा कभी कर नहीं पाया. कामरान ने कई बार अपने भाई के साथ गद्दारी कि थी एक बार जब हुमायूँ एक युद्ध में हार रहा था तो उसने अपनी मदद के लिए अपने भाई को याद किया लेकिन उसके सौतेले भाई कामरान ने उसका कोई साथ नहीं दिया.

कामरान ने कई बार हुमायूँ के बेटे अकबर को भी मारने की नाकाम कोशिश की लेकिन वो अकबर को मार नहीं सका. हुमायूँ अपने भाई कामरान की ऐसी हरकतों से परेशान हो गया और आखिर में तंग आकर हुमायूँ ने अपने भाई को कैदी बना लिया और उसकी आँखे खराब करके उसको अँधा कर दिया. और फिर हज के लिए भेज दिया. जब कामरान हज को जा रहा था तो रास्ते में ही किसी वजह से कामरान की मौत हो गयी.

हुमायूँ का शासन

Humayun history in hindi इनका शासन अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर भारत के हिस्सों पर सन 1530 से लेकर सन 1540 तक रहा और फिर दुवारा से 15 साल के बाद सन 1555 से 1556 तक रहा. इन्होने अपने जीवन में वैसे तो कई युद्ध किये लेकिन कुछ युद्ध बहुत बड़े भी थे. जो देवरा का युद्ध था जो इन्होने सन 1531 में किया था, चौसा का युद्ध सन 1539 में किया था, विलग्राम कि युद्ध इन्होने सन 1540 में किया था और सरहिंद का युद्ध जो इन्होने सन 1555 में किया था.

हुमायूँ अपने मिजाजी एतवार से एक बहुत ही समझदार और शरीफ किस्म के इन्सान थे . उसकी दीनदारी की जिंदगी भी बड़ी शानदार थी.

हुमायूँ की मृत्यू

Humayun history in hindi, जनवरी सन् 1556 ई. की बात है वो अपने कुतुबखाने में बैठे हुए थे, वहां पर वो कुछ पढ़ रहे थे. फिर वो कुतुबखाने से वापसी के लिए जीने से उतर रहे थे. इतने में बादशाह को अज़ान की आवाज़ सुनाई दी और वो वहीँ जीने पर बैठ गये.

और बैठ ही रहें थे अर्थात बैठते समय अचानक उनका पैर फिसल गया और वो वहां से जीने पर ही गिरते हुए नीचे आये और उनके सर में काफी चोट लगी, सर में चोट लगने की वजह से महज 47 साल की उम्र में ही (Humayun death) हुमायूँ का इंतकाल हो गया.

Humayun ka maqbara kisne banwaya tha?

हुमायूँ का मकबरा दिल्ली के पुराने किले के पास स्थित है. यह मकबरा देखने में बहुत ही खुबसूरत लगता है. इस मकबरे को हुमायूँ की बीबी हमीदा बानो बेगम ने सन् 1556 में बनवाने का हुक्म दिया था. और सन् 1572  तक इसका निर्माण हो गया. इतिहासकारों के मुताबिक वहां पर जो कब्रिस्तान है उसमे करीब 150 कब्रे हैं जो उनके ही परिजनों की हैं.

लाल बलुआ पत्थर से बनी यह ईमारत मुग़ल वास्तुकला की सबसे पहली और शानदार ईमारत है. इसके चारो तरफ बाग़ हैं जो इसकी खूबसूरती को और बड़ा देते हैं. मुगलों की इमारतों के निर्माण यहीं से शुरू होते है. हुमायूँ के मकबरे के बाद भविष्य में निर्माण होने वाला ताजमहल है जो आज देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मशहूर है.