Shahjahan ka Jivan Parichay | शाहजहाँ का जीवन परिचय हिंदी में

Shahjahan ka Jivan Parichay

यहाँ आपको Shahjahan ka Jivan Parichay के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी . शाहजहाँ का पूरा नाम शाहबुद्दीन मुहम्मद शाहजहाँ था और बचपन में इन्हें खुर्रम नाम से भी पुकारते थे. इनका जन्म 5 जनबरी 1592 ई. में लाहौर में हुआ था.

शाहजहाँ के पिता का नाम जहाँगीर और माता का नाम जगत गोसाई (बिलकीस मकानी) था. इनकी माता जगत गोसाई जोधपुर के राजा उदय सिंह की बेटी थीं.

शहजादा खुर्रम यानि के शाहजहाँ ने अपनी तालीम के साथ साथ उन्होंने तलवार चलाना, तीरंदाजी, नेजाबाज़ी और घुड़सवारी आदि में भी अच्छी जानकारी हासिल की थी.

shahjahan ka jivan parichay

शाहजहाँ का जीवन परिचय हिंदी में

1नामशाहजहाँ
2बचपन का नामखुर्रम
3पिता का नामजहाँगीर
4माता का नामजगत गोसाई (बिलकीस मकानी)
5जन्म वर्ष1592
6मृत्यू वर्ष1666
8मकबराआगरा (ताजमहल)

शाहजहाँ की पत्नियों के नाम (Shah jahan’s wife)

शाहजहाँ की कई शादियाँ थीं और उनकी पत्नियों के नाम कुछ इस प्रकार थे-

  • कंदाहरी बेगम
  • अकबराबादी महल
  • आरजुमंद बानो (मुमताज महल)
  • हसीना बेगम
  • मुति बेगम
  • कुदसिया बेगम
  • फतेहपुरी महल
  • सरहिंदी बेगम

History of shahjahan and mumtaz in hindi

Shahjahan & Mumtaz history in hindi, शाहजहाँ और मुमताज की लव स्टोरी आज दुनिया भर में मशहूर है. क्यूंकि बादशाह ने अपनी बेगम के लिए किया ही कुछ ऐसा था जिस की बजह से लोग उन्हें आज भी याद करते हैं.

मुमताज महल का असली नाम आरजुमंद बानो था जिनकी शादी शाहजहाँ से सन 1612 ई. में हुई थी. आरजुमंद बानो, शाहजहाँ की सबसे प्रिय पत्नी थी. बादशाह ने शादी के बाद इनका नाम मुमताज रखा था.

बादशाह शाजहाँ अपनी मुमताज से इतना प्रेम करते थे कि राजा मुमताज से कभी अलग नहीं होते थे और हमेशा अपनी मुमताज के साथ रहते थे.

लेकिन वक़्त को किसने देखा है. एक दिन आखिर ऐसा भी आया कि मुमताज को बादशाह से जुदा होना पडा. और १६३१ में अरजुमंद बानो बेगम का इंतकाल हो गया.

इनके इंतकाल के बाद मुग़ल सल्तनत में चारो तरफ दुःख के बदल छा गए. बादशाह ने कई वर्ष तक अपनी बीबी की याद में शोक मनाया. और आखिर कर राजा ने एक दिन अपनी बीबी की याद में कुछ ऐसा करने का सोचा जोकि हमेशा के लिए अमर कर दिया.

इन्होने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज का मकबरा कुछ इस तरह बनवाया कि यह मकबरा आज भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है. जिसे ताजमहल कहते हैं ; इन्हीं की याद में बादशाह ने ताजमहल बनबाया था जो आज दुनियाभर में अजूबों में शामिल है.

शाहजहाँ का शासनकाल 

सन 1627 ई. में इनके पिता जहाँगीर की मौत के बाद शाहजहाँ को बहुत ही कम उम्र में मुग़ल शासन के ताज का मालिक बनना पडा.

इनको अपने भाई सेरयार से युद्ध भी करना पडा जिसमे इनके भाई को अपनी जान देना पड़ी थी.

सन 1648 में शाहजहाँ ने आगरा के अपेक्षा दिल्ली को राजधानी बनाया; लेकिन वह आगरा को कभी भूला नहीं उसने आगरा में ही इतनी खुबसूरत इमारत बनवाई थी.

शाहजहाँ के दरबार में जिन लोगों को बैठने का मौका मलता था वह अपनेआप को बहुत भाग्यशाली समझते थे.

शाहजहाँ के बैठने का जो राजसिंहसन था उसे तख़्त-ए-ताऊस कहते हैं.

shah jahan death (शाहजहाँ की मौत कैसे हुई)

Shahjahan history in hindi death शाहजहाँ के 4 बेटे थे जो अक्सर राजा बनने के चक्कर में आपस में लड़ते रहते थे. इन्ही में एक बेटे का नाम औरंगजेब था जिसने अपने बाप शाहजहाँ को लगभग 8 साल तक आगरा के किले के शाहबुर्ज में रखा था और उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया था.

वैसे तो शाहजहाँ का पूरा जीवन बहुत ही शानो शौकत से बीता था लेकिन उनकी जिन्दगी के आखरी साल बहुत दुःख भरे गुजरे थे. इन दिनों में उनकी एक प्यारी बेटी जिसका नाम जहाँआरा था; उनके साथ रहती थी और उनकी सेवा करती थी.

बादशाह शाहजहाँ ने यह दिन अपने बीते हुए दिनों को याद करके और ताजमहल को देख कर गुजरे थे. और आखिर में जनवरी सन् 1666 ई. में उनकी मौत हो गयी. उस समय उनकी उम्र 74 साल थी. उन्हें उनकी सबसे प्यारी बीबी मुमताज महल के कब्र के बराबर में ताजमहल में ही दफनाया गया था.