Vishanu ki khoj kisne ki : विषाणु की खोज किसने की

Vishanu ki khoj kisne ki thi ?

क्या आप जानेगें कि vishanu ki khoj kisne ki thi? तो हम आपको यहाँ बताएँगे. विषाणु की खोज रूसी वैज्ञानिक आइवनोवस्की (Iwanowaski) ने सन 1892 मे तम्बाकू की पत्तियों में चितरे रोग का निरीक्षण करते समय की।

वाइरस (virus) नाम डच वैज्ञानिक मार्टिनस बीजेरिन्क (Martinus Inciesinck 1898) ने दिया (इस शब्द का अर्थ होता है ‘विष’)।

ल्योफ्लेर एवं फ्रॉश (Leoffler and F ises) ने अनेक जन्तु तथा पादप विषाणु रोगों का पता लगाया। जीवाणुभोजी (bacteriophage) वाइरस की खोज ट्वार्ट (Twort) तथा डी हेरेल (d’ Herelle 1917) ने की।

1935 में स्टैनले (Stanley) ने तम्बाकू मोजैक बाइरस (tobacco mosaic virus) को रवों के रूप (crystalline form) में प्राप्त किया। तो यहाँ हमने जाना कि Vishanu ki khoj kisne ki thi.

विषाणु की खोज किसने की


विषाणु क्या है?

विषाणु या वाइरस (virus) अति सूक्ष्म जीवित कण है, इन्हें जीवित व अजीवित के बीच की कड़ी समझा जाता है।

ये सामान्य अवस्था में निर्जीव पदार्थ की तरह होते हैं और जीवन सम्बन्धी कोई लक्षण प्रदर्शित नहीं करते हैं।

लेकिन जीवित कोशिका के सम्पर्क में आने पर सजीव हो जाते हैं और उस कोशिका की सभी जैविक कियाओं पर नियन्त्रण कर स्वयं का गुणन (multiplication) प्रारम्भ करते हैं।

इस प्रकार, ये जनन जैसी प्रक्रियाएं प्रदर्शित करते हैं। विषाणु virus का अध्ययन विषाणु विज्ञान (Virology) के अन्तर्गत किया जाता है। विषाणु virus रोगजनक होते हैं। आनुवंशिकी की कई मौलिक समस्याओं के समाधान के लिए आजकल वैज्ञानिक इनका विस्तृत उपयोग कर रहे है।

विषाणु जनित रोग

Vishanu ki khoj kisne ki इसके बाद यह भी जानना जरूरी है कि इनसे होने वाले कुछ रोग। मानव शरीर में विषाणु (virus) के संपर्क में आने पर उनसे होने वाले रोगों को विषाणु जनित रोग कहते हैं। जो कोरोना की बीमारी सामने आई थी यह भी एक विषाणु जनित रोग ही था. इसके अलावा बहुत सी बीमारियाँ ऐसी हैं जो विषाणु की वजह से होती हैं। जैसे पोलियो, एड्स, चेचक, खसरा आदि रोग विषाणु जनित रोग हैं।

विषाणु की संरचना

परिमाप (Size)- विषाणु अति सूक्ष्म हैं, इन्हें इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के द्वारा ही देखा जा सकता है। इनका माप 15 mL से 450 mL होता है।

सबसे छोटा विषाणु virus पालतू पशुओं के मुख व पाद रोग विषाणु (mouth foot virus) तथा सैटेलाइट टोबैको मोजैक विषाण (satellite tobacco mosaic virus) हैं। जिनका आकार 15 से 20 m u है। सबसे बड़े विषाण चेचक का विषाणु (pox virus) तथा सिट्रस ट्राइस्टेजा (citrus Listeza) विषाणु हैं। जिनका आकार लगभग 350 mg है। आकृति (Shape)-आकृति में विषाणु अनेक आकार के; जैसे- गोल (spherical), घनाकार Doidal), छड्नुमा (rod-shaped), बहुतलीय (polyhedral),टैडपोल जैसी (tadpole-like) छयुपूँक्त होते हैं।

विषाणु की रचना

इनकी रचना न्युक्लीक अम्ल (nucleic acid), D.N.A. या R.N.A. तथा उसके चारों ओर प्रोटीन के खोल कैप्सिड (capsid) से होती है। बाडन तथा डार्लिंगटन (Bowden, 1936 and Darlington, 1944) ने बताया है कि विषाणु virus की अर-छोटे निर्जीव कर्णो से होती है जिन्हें विरिऑन (virion) कहते हैं। न्यूक्लीक अम्ल (R.N.A. या DNA.) का लगभग  6% भाग बनाता है जबकि प्रोटीन का कवच 94% भाग बनाता है। अधिकांश पादप विषाणु में आर एन ए तथा जंतु विषाणु में डीएनए पाया जाता है।

यह अनुवांशिक सूचनाओं की वंशागति के लिए जिम्मेदार होता है। D.N.A.का अणु एकहरे सूत्र का बना होता है जैसे- जीवाणु भोजी विषाणु virus में या फिर दोहरे सूत्र का बना हो सकता है, जैसे- चेचक विषाणु, खसरा विषाणु आदि में.

जीवाणु भोजी की संरचना

जीवाणुओं पर परजीवी विषाणु जीवाणु भोजी कहलाते हैं जीवाणु भोजी विषाणु का अध्ययन प्रमुख रूप में ईशचारिशिच्या कोलाई (Escherichia coli) के परजीवी जीवाणु भोजी पर किया गया है। इसकी रचना एक टैडपोल की तरह होती है जिसमें शीर्ष ग्रीवा तथा पूंछ होती है इसका सिर्फ बहू हु जी तथा पूछ बेलना कार होती है।

सिर तथा पूंछ के बीच का एक छोटी ग्रीवाहोती है। शीर्षमें न्यूक्लिक अम्ल D.N.A. उपस्थित होता है।यह एक प्रोटीन के आवरण से ढका रहता है पूछ के अंतिम भाग पर एक पुच्छ प्लेट होती है। इसमें छे पुच्छ तंतु लगे रहते हैं पूछ में भी डीएनए का एक कोर (core) होता है।

विषाणुओं की विशेषताएं (Characteristics of viruses)

विषाणु सजीव और निर्जीव के बीच की संयोजक कड़ी समझे जाते हैं इनमें सजीव एवं निर्जीव दोनों के लक्षण पाए जाते हैं-

विषाणु के सजीव लक्षण Living characters of viruses

  • विषाणु virus प्रोटीन तथा न्यूक्लिक अम्ल (N.A. याR.N.A.) के बने होते हैं।
  • जीवित कोशिका के संपर्क में आने पर विषाणु virus सक्रिय हो जाते हैं।
  • विषाणु का न्यूक्लिक अम्ल पोषद कोशिका में पहुंचकर कोशिका की उपापचय क्रियाओं पर नियंत्रण स्थापित करके स्वेन्दिगूढ़न करने लगता है और अपने लिए आवश्यक प्रोटीन का संश्लेषण भी कर लेता है। इसके फलस्वरूप विषाणु की संख्या में वृद्धि अर्थात जनन होता है।
  • विषाणु virus में वृद्धि होती है।
  • विषाणु virus में उत्परिवर्तन के कारण अनुवांशिक विभिन्नता उत्पन्न होती हैं।

विषाणु के निर्जीव लक्षण Non-Living characters of viruses

  • इनमें virus, एंजाइम के अभाव में कोई भी उपापचय क्रिया स्वतंत्र रूप से नहीं होती है।
  • विषाणु virus केवल जीवित कोशिकाओं में पहुंचकर ही सक्रिय होते हैं। जीवित कोशिका के बाहर यह निर्जीव रहते हैं।
  • विषाणु virus ने कोषा अंगद तथा दोनों प्रकार के न्यूक्लिक अम्ल (N.A. याR.N.A.) नहीं पाए जाते हैं।
  • विषाणुओं को रवों crystals के रूप में निर्जीव ओं की तरह सुरक्षित रखा जा सकता है यह रवें की अवस्था में भी इनकी संक्रमण शक्ति नष्ट नहीं होती है।