Jaishankar Prasad ka jivan parichay | जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय लिखिए

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय

जयशंकर प्रसाद भारतीय हिंदी साहित्य के इतिहास में एक महाकवि, कथाकार, नाटककार, निबंधकार, उपन्यासकार के रूप में एक विशेष स्थान रखते हैं . जयशंकर प्रसाद जी का जन्म 30 जनवरी सन् 1889 को उत्तर प्रदेश के काशी शहर के महोल्ला सरायगोवर्धन में हुआ था . यह एक सम्मानित परिवार में पैदा हुए थे . इनके बाप दादा गरीबों को दान देना और कलाकारों का सम्मान करना अच्छी तरह जानते थे . इनके पिता का नाम श्री देवी प्रसाद साहु था जो तम्बाकू के करोवारी थे .

Jaishankar Prasad ka jivan parichay


जयशंकर प्रसाद का बचपन

जयशंकर प्रसाद को बचपन में झारखंडी कहा जाता था . इन्होने बचपन से ही कवितायेँ लिखना शुरू कर दी थी. सन् 1900 में इनके पिता देवी प्रसाद जी का देहांत हो गया था . उस समय जयशंकर प्रसाद जी मात्र 11 वर्ष के थे . सन् 1905 में इनकी माता मुन्नी देवी जी का भी देहांत हो गया . इनके बड़े भाई सम्भुरत्न ने इन्हें सहारा दिया लेकिन अफ़सोस इनके बड़े भाई भी सन् 1907 में इन्हें छोड़कर दुनिया से चले गए .

उस समय इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी क्योंकि इनके पिता एक दानवीर के रूप में भी जाने जाते थे . तो उन्होंने अपना बहुत कुछ धन गरीबों में दान कर दिया था . इसलिए जयशंकर प्रसाद ने बहुत जल्दी अपनी जिम्मेदारियो को संभाल लिया था . लेकिन वे बचपन से ही बड़े हंसमुख और सरल स्वाभाव के व्यक्ति रहे थे . हालाँकि इन्होने अपने जीवन में काफी दुःख का सामना किया है .

जयशंकर प्रसाद की शिक्षा

जयशकर प्रसाद की विद्यालय में शिक्षा ज्यादा नहीं हुई थी लेकिन फिर भी उन्होंने स्यंव बहुत सारा ज्ञान प्राप्त कर लिया था . राजकीय क्वींस इंटर कॉलेज वाराणसी से इन्होने कक्षा 7 तक पढाई की थी . उसके बाद इनके बड़े भाई सम्भुरत्न ने इनकी पढाई लिखाई का इंतजाम घर पर ही कर दिया था . फिर इन्होने घर पर ही वेद, पुराण, उपनिषद, काव्यशास्त्र आदि का गहन अध्ययन किया . इसी अध्ययन की वजह से आगे चलकर इन्होने अपनी रचनाओ में इनका आधार बनाया .

मोहिनीलाल गुप्त जी, जयशंकर प्रसाद जी के पहले गुरु माने जाते हैं . क्योंकि इन्होने मात्र 9 वर्ष की आयु में अपनी पहली रचना मोहिनीलाल गुप्त को सुनाई थी . इनके अलावा गुरु गोपाल बाबा, हरिहर महाराज आदि से भी इन्होने शिक्षा प्राप्त की थी .

जयशंकर प्रसाद ने अपनी काव्यरचना की शुरुआत ब्रजभाषा में की थी . लेकिन बाद में समय के साथ साथ इन्होने खड़ी बोली का भी इस्तेमाल किया और फिर ज्यदातर इनकी रचनाएँ खड़ी बोली में देखने को मिली . इनकी भाषा शैली ब्रजभाषा में परम्परागत शैली, खड़ी बोली और छायावाद में रहस्यवादी शैली देखने को मिलती है .

जयशंकर प्रसाद का वैवाहिक जीवन

जयशंकर प्रसाद की तीन शादियाँ हुई थीं . कहा जाता है कि कुछ चीजें इन्सान के हाथ में नहीं होती बल्कि उसके भाग्य में लिखी होती हैं, यही इनके साथ हुआ था . इनका पहला विवाह सन् 1909 में विंध्यवासिनी देवी के साथ हुआ था . और मात्र विवाह के 7 साल बाद इनकी पहली पत्नी का बीमारी में कारण देहांत हो गया . इसके एक साल बाद इन्होने सरस्वती देवी से दूसरा विवाह कर लिया लेकिन विवाह के कुछ वर्ष बाद इनका भी देहांत हो गया . इस तरह एक बार फिर इनके जीवन में अन्धकार छा गया . वैसे तो इन्होने अब तीसरी शादी न करने का फैसला लिया था . लेकिन इनके मित्र और इनकी भाभी के ज्यादा जोर देने पर एक बार फिर यह विवाह के लिए तैयार हो गए . और सन् 1921 में इनका तीसरा विवाह कमला देवी के साथ हुआ . इनकी तीसरी पत्नी से ही इन्हें मात्र एक पुत्र प्राप्त हुआ जिनका नाम रत्नशंकर था .

जयशंकर प्रसाद का साहित्य परिचय

जयशंकर प्रसाद की पहली कविता “सावन पंचक” है जिसका प्रकाशन 1906 में भारतेंदु पत्रिका में हुआ था . यह प्रकाशन जयशंकर प्रसाद नाम से नहीं बल्कि इनके उपनाम “कलाधर” नाम से हुआ था . क्योंकि यह अपनी रचनाएँ इसी नाम से लिखते थे . इसके बाद इन्होने एक के बाद एक नाटक, कहानी, कविता, निबंध आदि लिखते चले गए . इनका एक महाकाव्य “कामायनी” बहुत प्रसिद्ध हुआ .

जयशंकर प्रसाद की दो रचनाएँ

.स.

कविता

नाटक

उपन्यास

कहानी

निबंध

1

वन मिलन

सज्जन

कंकाल

ग्राम

रंगमंच

2

प्रेम राज्य

राज्यश्री

तितली

आँधी

काव्य और कला