तुलसीदास का जीवन परिचय
तुलसीदास का जीवन परिचय में हम बात करेंगे उनके जीवन के बारे में और उनके बचपन के बारे में। गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्य के एक महान कवि के रूप में जाने जाते हैं.
सूरदास, कबीरदास और तुलसीदास यह सब भारत के महान कवि हुए हैं जिन्हें गुजरे हुए सदियाँ बीत गयीं लेकिन आज भी हिंदी साहित्य के इतिहास में इनका नाम गर्व से लिया जाता है.
तुलसीदास का जन्म
तुलसीदास का जन्म सन् 1511 ई. में हुआ था। तुलसीदास जी के पिता पंडित आत्म राम दुवे और इनकी माता का नाम हुलसी देवी था, इनकी पत्नी का नाम रत्नावली था और तुलसीदास जी के गुरु का नाम नरहरिदास था।
तुलसीदास का संक्षिप्त जीवन परिचय
1 | नाम | तुलसीदास |
2 | पूरा नाम | गोस्वामी तुलसीदास |
3 | बचपन का नाम | रामबोला |
4 | पिता का नाम | पंडित आत्म राम दुवे |
5 | माता का नाम | हुलसी देवी |
6 | गुरु का नाम | नरहरिदास जी |
7 | पत्नी का नाम | रत्नावली |
8 | जन्म स्थान | सोरों में जिला काशीराम नगर (कासगंज) |
9 | जन्म वर्ष | 1511 ई. |
10 | मृत्यू वर्ष | 1623 ई. |
11 | महाकाव्य | रामचरित मानस, |
12 | आखरी रचना | विनय पत्रिका |
13 | प्रसिद्ध साहित्यिक रचनायें | रामचरितमानस, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली, हनुमान चालीसा, वैराग्य सन्दीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल आदि |
तुलसीदास का जन्म स्थान
तुलसीदास का जीवन परिचय में जन्म स्थान के बारे में लोगों में कुछ मतभेद हैं। कुछ लोगों का कहना है कि तुलसी दास का जन्म सोरों में जिला काशीराम नगर (कासगंज) जो की उत्तर प्रदेश में मौजूद है वहां पर हुआ था।
लेकिन कुछ लोग यह मानते हैं कि इनका जन्म उत्तर प्रदेश के जिला बाँदा के ग्राम राजापुर में हुआ था।
तुलसीदास जी का बचपन
Tulsidas ka jivan parichay में अब उनके बचपन की बात करते हैं. इनके बचपन की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। इनका बचपन का नाम रामबोला था।
आमतौर पर जब कोई बच्चा पैदा होता है तो नॉर्मली वो रोता है। लेकिन इनके बारे में ऐसा नहीं है। जब इनका जन्म हुआ तो वह रोये नहीं थे बल्कि इनके मुहं से पहला शब्द जो निकला वो शब्द राम था। इसीलिय इनका नाम भी रामबोला पड़ गया था।
इनका जन्म साधारण शिशु की तुलना में थोडा अलग था। यह बालक देखने में थोडा अजीब थे क्युकी इनका चेहरा थोडा बड़ा था। और काफी स्वास्थ्य भी लग रहे थे। और इनके मुहं में जन्म के सारे दांत भी मौजूद थे।
आमतौर पर जब बच्चा पैदा होता है उसके कई महीनो के बाद बच्चे में दांत आना शुरू होते हैं। लेकिन इनके तो पहले से ही थे। इतना कुछ अजीब होने की बजह से इनके पड़ोस में इनकी चर्चाएँ चलने लगी।
तुलसीदास का जीवन परिचय में इनके जन्म के बाद जल्द ही इनकी माता का देहांत हो गया। अब लोगों को लगने लगा के ज़रूर यह कोई अपसगुनी बच्चा है। इसलिए इसका यहाँ रहना ठीक नहीं है। तरह तरह की भ्रान्तियाँ लोगों में फैलने लगी। यह सब देख कर इनके पिता ने इन्हें एक चुनिया नाम की दासी को सौंप दिया।
वह इसे अपने घर लेकर चली गयी और इनकी देखभाल करने लगी। और जब इनकी आयु लगभग 5 वर्ष की थी तभी इनकी दासी माँ भी चल बसी। कहा जाता है के चुनिया देवी को सांप ने काट लिया था इसलिए उनकी मौत हो गयी थी।
फिर लोगों ने इसकी खबर इनके पिता को दी। इनके पिता ने इनको अपने पास बुलाने से मना कर दिया अब लोग इन्हें और भी ज्यादा अभाग्यशाली समझने लगे थे। अब रामबोला बिल्कुल ही अकेले हो चुके थे।
रामबोला से गोस्वामी तुलसीदास तक का सफ़र
तुलसीदास का जीवन परिचय जब रामबोला की आयु 5 वर्ष की थी तो यह द्वार द्वार भटकते फिरते थे। और खाना भी मांग कर ही खाते थे। एक दिन अचानक इनकी मुलाकात एक संत नरहरिदास से हुई। उन्होंने इस बालक को अपने साथ रख लिया।
नरहरिदास अपने शिष्य रामबोला को लेकर अयोध्या चले गए। अभी इनका नाम रामबोला था। तो गुरु नरहरिदास ने ही इनका नाम बदलकर रामबोला से तुलसीदास रखा। अब यह अपने गुरु के साथ ही रहते थे और उन्ही से शिक्षा प्राप्त करने लगे।
यह लिखने पढने में बड़े तेज थे इनके गुरु जो भी इन्हें बताते यह तुरंत ही उसको समझ लेते थे। कुछ दिनों के बाद दोनों काशी चले गए और वहां पंच गंगा घाट पर ठहरे। वहीँ पर इन दोनों की मुलाकात एक महात्मा से हुई जिनका नाम सेस सनातन था। इन्ही से तुलसीदास ने वेद पुराण आदि पढ़े। यहीं से तुलसीदास के व्यक्तित्व में निखार आया।
तुलसीदास का जीवन परिचय काशी में 15 वर्ष तक रहकर यह अपनी जन्मभूमि सोरों में वापिस लौट आये । इसी बीच इनके गुरु का भी देहांत हो गया था। इन्होने अपने गुरु से सनातन ज्ञान के अलावा सामाजिक ज्ञान भी सीखा था। इसीलिए उन्हें अपने जीवन के सारे दुःख दर्द से निपटने की शक्ति आ गयी थी। अब वह इतने निरास नहीं रहते थे।
15 साल बाद जब वह अपने घर वापिस आये तो पता चला के उनके परिवारजनों में सभी का देहांत हो चुका है। उन्हें यह जानकर बहुत दुःख हुआ और वह वापिस जाने लगे। तभी गॉंव वालों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया और फिर तुलसीदास अपने गॉंव में ही रहने लगे। लोगों ने उनके टूटे फूटे मकान की मरम्मत की और फिर तुलसीदास वहीँ रहने लगे।
तुलसीदास का रत्नावली से विवाह
तुलसीदास का जीवन परिचय में अब उनके विवाह के बारे में जानेगे, गॉंव में रहते रहते तुलसीदास गॉंव वालों को अक्सर रामकथा सुनाने लगे थे। धीरे धीरे तुलसीदास रामकथा सुनाने के लिए मशहूर हो गए। अब उनके गॉंव के आसपास वाले भी उनकी कथा सुनने के लिए उनके गॉंव आने लगे।
एक दिन पडोसी के गॉंव से दीन वन्धु पाठक कथा सुनने आये उनके साथ उनके परिजन भी थे। उन्होंने तुलसीदास से राम कथा सुनी वो सभी इनसे बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने अपनी कन्या यानि रत्नावली से विवाह करने का तुलसीदास को निमंत्रण दिया। यह विवाह के लिए मान गए और और तुलसीदास और रत्नावली का विवाह हुआ।
रत्नावली बहुत ही सुन्दर थी तो गोस्वामी जी अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करने लगे थे। वह हर वक़्त उनके साथ रहते थे। एक बार क्या हुआ के तुलसीदास जी कहीं काम से बाहर गए हुए थे। इसी बीच इनकी पत्नी रत्नावली अपने मायके चली गयीं। जब यह घर लौट कर आये तो उन्होंने देखा के उनकी पत्नी घर पर नहीं है।
जब दासी से पूछा तो पता चला के वह मायके गयीं हुई हैं । इस समय रात का वक़्त था और वारिश भी बहुत हो रही थी । नदी में भी बाढ़ आ गयी थी जो उन्होंने तैर कर पार की और यह उसी समय रात में अपनी ससुराल अपनी पत्नी के पास चले गए।
तुलसीदास का जीवन परिचय जब उनकी पत्नी ने उन्हें देखा के इतनी रात में यह यहाँ क्यों आये हैं उन्हें थोडा बुरा लगा। फिर उन्होंने तुलसीदास से किलस कर क्रोध में आकर कह दिया के तुम्हें जितना प्रेम मेरे शरीर से है उसका आधा भी अगर श्री राम से होता तो उनके दर्शन प्राप्त हो जाते।
यह बात इनको इतना प्रभावित कर गयी की यही से उनके जीवन की एक नयी शुरुआत हो गयी। और वह वहीँ से सीधे प्रयाग को चल दिए और वहां पर उन्होंने साधू के भेष धारण किया और साधुओं के साथ रहने लगे। काशी में तुलसीदासजी ने राम कथा कहना शुरू कर दिया अब उनके जीवन का मात्र एक ही उद्देश्य था के उन्हें अब राम के दर्शन करना थे। और उनके जीवन का यह सपना भी पूरा हुआ उन्हें राम के दर्शन भी हुए।
तुलसीदास की रचनाएँ
तुलसीदास का जीवन परिचय, इन्होने हिन्दी साहित्य के महान कवि के रूप में अपना नाम विश्व भर में बनाया। आज सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया उन्हें जानती है।
तुलसीदास ने ऐसे कार्य किये जिससे उनका नाम तुलसीदास से गोस्वामी तुलसीदास हो गया । इनका एक महाकाव्य रामचरित मानस है जिसको इन्होने 2 वर्ष 7 माह 26 दिन में पूरा लिखा था। जो आज पूरे विश्व भर में मशहूर है।
तुलसीदास ने रामचरित मानस के अलावा विनय पत्रिका, दोहावली, हनुमान चालीसा, वैराग्य संदीपनी, पार्वती मंगल, जानकी मंगल आदि जैसे और भी बहुत सारे महान काव्य ग्रन्थ लिखे हैं।
तुलसीदास जी की मृत्यू
तुलसीदास का जीवन परिचय गोस्वामी तुलसीदास जब काशी के घाट पर रह रहे थे तो एक रात अचानक उन्हें कलियुग ने मूर्त रूप धारण करके उन्हें डराया। उसी समय उन्होंने हनुमान जी को ध्यान लगाकर याद किया। तुरंत हनुमान जी ने उन्हें अपने दर्शन कराये और उनसे प्रार्थना के पद रचने के लिए कहा।
उसके बाद इन्होने अपनी आखरी रचना विनय पत्रिका लिखी। कहा जाता है के विनय पत्रिका पर स्वयं श्री राम ने अपने हस्ताक्षर किये थे । और सन् 1623 ई. में तुलसीदास जी का स्वर्गवास हो गया। उनका नाम हिन्दी साहित्य कवि के रूप में आज भी सुनहरे अक्षरों में लिखा जाता है।