Ramnaresh Tripathi ka jivan parichay : रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय

रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय

रामनरेश त्रिपाठी जी हिंदी साहित्य के एक प्रमुख कवि हुए हैं. रामनरेश त्रिपाठी का जन्म सन्न 1881 में हुआ था. रामनरेश त्रिपाठी का जन्म स्थान उत्तर प्रदेश में कोइरीपुर में जो अब जिला सुल्तानपुर में है.

Ramnaresh Tripathi ka jivan parichay
यह एक साधारण किसान के परिवार में पैदा हुए थे. उनके पिता का नामा पं॰ रामदत्त त्रिपाठी था. इनका परिवार एक धार्मिक परिवार था जिसमे इनका पालन पोषण हुआ था. इनके पिता पं॰ रामदत्त त्रिपाठी परमेश्वर के भक्त थे जिस कारण रामनरेश त्रिपाठी भी बचपन से ही धार्मिक और कर्तव्यनिष्ठा व राष्ट्रभक्ति की भावना रखते थे. निर्भीकता और आत्मविश्वास के गुण उन्हें अपने परिवार से ही मिले थे.

रामनरेश त्रिपाठी का संक्षिप्त परिचय

1

नाम

रामनरेश त्रिपाठी (कवि)

2

जन्म

1881 ई.

3

जन्म स्थान

कोइरीपुर (जौनपुर)

4

मृत्यु

1962 ई. (इलाहाबाद)

5

प्रमुख रचनाएँ

मिलन, पथिक, स्वप्न, मानसी, कविता कौमुदी, ग्राम्यगीत, प्रेमलोक, फूलरानी, सुभद्रा, आकाश की बातें आदि.

6

पुरस्कार

हिन्दुस्तान अकादमी पुरस्कार

7

भाषा

खड़ीबोली, हिंदी, उर्दू.


रामनरेश त्रिपाठी जी की शिक्षा

रामनरेश त्रिपाठी की प्राइमरी की शिक्षा उनके गॉंव में ही हुई थी. उसके बाद वह हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के लिए निकट शहर जौनपुर जाने लगे. लेकिन वहां उनकी कक्षा नौवीं तक ही पढाई पूरी हो सकी. उसके बाद उन्होंने सेल्फ स्टडी करके ही हिंदी, अंग्रेजी, बंगला, संस्कृत और गुजरती आदि का अध्ययन किया था.

त्रिपाठी की साहित्य कार्य की शुरुआत फतेहपुर में हुई। शुरुआत में उन्होंने छोटे-बडे बालोपयोगी काव्य संग्रह, सामाजिक उपन्यास और हिन्दी में महाभारत लिखे. उन्होंने हिन्दी तथा संस्कृत साहित्य का बहुत गहरा अध्ययन किया था.

रामनरेश त्रिपाठी का साहित्य इतिहास

इनका साहित्य इतिहास बहुत प्रसिद्द है. यह मननशील और परिश्रमी थे. यह अपने काम को बहुत मेहनत और लगन के साथ करते थे. इन्होने साहित्य के क्षेत्र में कई कार्य ऐसे किये जो सबसे अलग और सराहनीय हैं. ये लोकगीतों के सबसे पहले संकलनकर्ता थे.

काव्य, कहानी, नाटक, निबंध और लोकगीतों आदि पर इनका पूरा अधिकार रहा है. ये एक आदर्शवादी साहित्य कवि थे. इनकी रचनाओं में देशप्रेम, मानव सेवा और प्रकृति.के बारे में बहुत कुछ देखने को मिलता है. इन्होने अपनी रचनाओं में प्रकृति.का ऐसा सुन्दर वर्णन किया है जैसे लगता है कि लाइव देख रहे हैं.

प्रकृति.चित्रण का जो वर्णन इन्होने अपनी रचनाओं में किया है उसका योगदान उल्लेखनीय रहा था. क्योंकि इन्होने प्रकृति को आलम्बन और उद्दीपन दोनों तरह से अपनाया है. इनके प्रकृति चित्रण की विशेषता यह थी कि ये जो प्रकृति के दृश्य का वर्णन किया करते थे वो इन्होने स्यंव देखे होते थे.

रामनरेश त्रिपाठी जी की रचनाएँ

रामनरेश त्रिपाठी की प्रमुख रचनाएँ पथिक और मिलन हैं. इसके अलावा और भी महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं, जैसे- स्वप्न जो खंड काव्य है, कविता मौकुदी नमक रचना जो 8 भागो में है. गोस्वामी तुलसीदास और उनकी कविता जो एक आलोचना है.

रामनरेश त्रिपाठी जी की स्वदेश प्रेम कविता बहुत लोकप्रिय है. इसमें अपने भारत देश के प्रति प्रेम का वर्णन किया गया है. इस कविता में कवि ने भारत के वीरों को सम्भोदित करते हुए अपने देश के लिए मर मिटने का वर्णन किया है. अपने प्राण से ज्यादा अपने देश की रक्षा करना बताया है.

इसके अलावा और भी सैकड़ों रचनाये हैं रामनरेश त्रिपाठी जी की जो बहुत अच्छी हैं. रामनरेश त्रिपाठी जी की भाषा खड़ीबोली है जिसमे कहीं कहीं उर्दू के प्रचलित शब्द भी शामिल हैं. जो इनकी रचनाओं को और ज्यादा आकर्षित बनाते हैं.

भारत के एक महान कवि रामनरेश त्रिपाठी जी का सन् 1962 में इलाहाबाद में इनका स्वर्गवास हो गया. यह एक ऐसे कवि हैं जो अपने देश के प्रति प्रेम रखते थे. इन्हें भारत अपने साहित्य के इतिहास में हमेशा याद रखेगा.