Aurangzeb History in hindi | औरंगजेब का जीवन परिचय

Aurangzeb ka jivan parichay

Aurangzeb History in hindi में सबसे पहले औरंगजेब बादशाह का जीवन परिचय जानिये, औरंगजेब का जन्म 3 नवम्बर सन् 1616 ई. में गुजरात राज्य के जिला दाहोद में हुआ थ. इनका पूरा नाम अबुल मुजफ्फ़र मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब था. इनकी प्रजा इन्हें आलमगीर औरंगजेब भी कहती थी.
औरंगजेब के पिता का नाम शाहजहाँ और इनकी माता का नाम मुमताज महल था. इन्होने अरबी और फ़ारसी की तालीम हासिल की थी.
1 नाम औरंगजेब
2 पूरा नाम अबुल मुजफ्फ़र मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब
3 पिता का नाम शाहजहाँ
4 माता का नाम मुमताज महल
5 जन्म वर्ष 1616
6 मृत्यू वर्ष 1707
8 मकबरा खुल्दाबाद (कब्र)

 औरंगजेब के बेटे (aurangzeb children)

  • मुहम्मद सुल्तान
  • बहादुर शाह प्रथम
  • मुहम्मद आज़म शाह
  • सुल्तान मुहम्मद अकबर
  • मुहम्मद कम बख्स

Aurangzeb History in hindi

सन् 1603 ई. से ईस्ट इंडिया कंपनी लगातार भारत पर अपना कब्ज़ा जमा रही थी. यह कंपनी धीरे धीरे भारत में मजबूत हो रही थी. लेकिन एक समय ऐसा भी आया कि अंग्रेजो को औरंगजेब का सामना भी करना पडा.

यह बात उस समय की है जब ईस्ट इंडिया कंपनी का कब्ज़ा भारत के कुछ हिस्सों पर हो चुका था. उस समय अंग्रेज भारत से गुड का शीरा, रेशम, कपडा और खनिज पदार्थ आदि ले जाया करते थे.

उसी दौरान जब कुछ अन्य विदेशी भारत में व्यापार करने आये और वो अंग्रेजो को मिलने वाले दामो के हिसाब से ही मुगलों से वस्तुएं खरीदने लगे और उन्होंने मुगलों से वही अधिकार हासिल कर लिए जो ईस्ट इंडिया कंपनी के पास थे.

यह बात अंग्रेजो को बुरी लगी क्यूंकि उन्हें यह स्वीकार नही था कि उनके मुनाफे में कोई और सरीक हो. फिर अंग्रेजों ने मुगलों से बगावत शुरू कर दी. 1686 में अंग्रेजों ने औरंगजेब पर हमला बोल दिया. उस समय औरंगजेब एक बहुत ही मजबूत शासक था. दुनिया का एक चौथाई JDP का हिस्सा उस समय केवल भारत के पास था जो आज अमरीका के पास है.

औरंगजेब की फ़ौज बहुत ही कुशल और शक्तिशाली थी जो किसी भी समय किसी भी युद्ध के लिए तैयार थी. जब अंग्रेजो से युद्ध हुआ तो इस लड़ाई में अंग्रेजो की बहुत बुरी तरह हार हुई. और उस समय कुछ अंग्रेज बचे थे जिन्हें अपनी जान किसी तरह बचा कर भारत से भागना पड़ा.

औरंगजेब का शासनकाल

(Aurangzeb History in hindi) औरंगजेब भारत के महान मुग़ल शासक थे, जिन्होंने हिंदुस्तान में कई वर्षो तक राज्य किया था. औरंगजेब झठे नंबर के मुग़ल बादशाह थे जिन्होंने भारत में राज किया । औरंगजेब बादशाह ने 1658 से 1707 तक करीब 50 वर्षों तक राज किया था । 

अपने दादा अकबर बादशाह के बाद यही मुग़ल राजा थे जो बहुत लम्बे समय तक राजा की गद्दी पर रहे । इनकी मौत के बाद मुग़ल बादशाहत लगभग पूरी तरह कमजोर हो गयी थी और धीरे -धीरे खत्म होने लगी थी। औरंगजेब ने अपने बाप दादा के काम को बाखूबी से आगे बढ़या था.

औरंगजेब ने इस राज पाठ को और शक्ति प्रदान की और हिंदुस्तान में मुगलों के साम्राज्य का और बिस्तार किया लेकिन औरंगजेब को उनकी प्रजा अधिक पसंद नहीं करती थी क्यूंकि इसकी वजह यह थी कि उसका व्यवहर लोगों को पसंद नहीं था उनके पूर्वजों के मुकाबले लोग इन्हें कम पसंद करते थे.

औरंगजेब के पूर्वज अकबर, बाबर आदि मुग़ल बादशाहों ने भारत को जो समृध्दि प्रदान की थी, औरंगजेब ने उसमें बिस्तार तो जरूर किया लेकिन अपने कट्टरपन और अपने पिता और भाइयों के साथ दुर्व्यवहार करने की बजह से उन्हें देश की जनता का साथ नहीं मिला । उन्होंने हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया था । 

वैसे नैतिक रूप से वे अच्छे चरित्र के व्यक्ति तो थे। औरंगजेब टोपियां सीकर और कुरान की आयतें लिखकर अपना खर्चा चलाते थे। उन्होंने राज्य-विस्तार के लिए अनेक बड़ी-बड़ी लड़ाईयां भी लड़ीं थीं । उनका शासन 1658 से लेकर 1707 तक चला। उन्होंने लगभग 50 साल तक अपना शासन स्थापित रखा।

औरंगजेब का राजपाठ बहुत बड़ा था इसीलिए उस समय मुग़ल साम्राज्य सबसे विशालकाय और शक्तिशाली साम्राज्य माना जाने लगा था। वैसे तो औरंगज़ेब एक पवित्र जीवन जीता था और अपने व्यक्तिगत जीवन में वह एक बहुत ही आदर्श व्यक्ति रहा । 

वह सादाजीवन जीता था। खाने-पीने, वेश-भूषा और जीवन की अन्य कई सभी-सुविधाओं में वह बहुत संयम बरतता था। प्रशासन के भारी काम में व्यस्त रहते हुए भी वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कुरआन शरीफ़ की नकल करके और टोपियाँ सीकर कुछ पैसा कमाने का समय निकाल लेता था जिस से वह अपना खर्चा पूरा करता था.

औरंगजेब का इंतकाल व कब्र
Aurangzeb History in hindi, औरंगजेब का इंतकाल 23 मार्च सन् 1707 ई. में महारास्ट्र के अहमद नगर में हुआ था. इनकी उम्र 91 वर्ष थी जिसमे 50 साल तक इन्होने हिन्दूस्तान पर राज किया था.
उनकी मर्जी थी के मरने के बाद उन्हें उनके पीर ख्वाजा सय्यद जैनुद्दीन सिराजी के मजार के पास खुल्दाबाद में दफनाया जाये और आज उसी जगह पर उनकी कब्र मौजूद है.
उन्होंने यह भी बसियत की थी कि उनकी मजार कच्ची रखना उस पर कोई गुम्बद न हो, सब खुला रखना. मजार पर सिर्फ सफ़ेद सादा चादर डालना जैसे किसी आम गरीव की कब्र होती है वैसे ही रखना. 350 रुपये जो क़ुरान शरीफ की नक़ल करके कमाए थे वो गरीवों में बाँट दिए थे.
इनकी आखरी इच्छा थी कि इनकी कब्र सिर्फ 14 रुपये 75 पैसे में ही बनाना जो इन्होने टोपियाँ सीकर कमाए थे. यह पैसे इन्होने अपने बड़े लड़के को दे दिए थे और कहा था कि मेरी कब्र में सिर्फ इतने पैसे ही लगाना. और आज भी इनकी कच्ची कब्र मौजूद  है.
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