Biography of Babar in hindi
आज आपको मुग़ल बादशाह बाबर के बारे में बताएँगे कि बाबर कौन था? और वह कहाँ से आया था, तो सबसे पहले हम जानते हैं कि बाबर का जन्म कब और कहाँ हुआ था? और बाबर का पूरा नाम क्या था?
बाबर का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
बाबर का पूरा नाम जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर था. इनका जन्म 14 फरवरी सन 1483 ईसवी में फ़रगना घाटी के अन्दीझान में हुआ था, जो मध्य एशियाई के उज्बेकिस्तान में मौजूद है.
बाबर के पिता का नाम उमर शेख़ मिर्जा था जो परगना घाटी के शासक थे. और इनकी माता का नाम कुतलुग निगार खानम था.
बाबर का संक्षिप्त जीवन परिचय
1 | नाम | बाबर |
2 | पूरा नाम | जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर |
3 | पिता का नाम | उमर शेख़ मिर्जा |
4 | माता का नाम | कुतलुग निगार खानम |
5 | जन्म वर्ष | 1483 |
6 | मृत्यू वर्ष | 1530 |
7 | शासन काल | 5-6 वर्ष |
8 | मकबरा | काबुल, आगरा |
सन 1494 में जब बाबर सिर्फ 12 साल का ही था तभी इनको फ़रगना घाटी का शासक बना दिया गया था. लेकिन इतनी कम उम्र होने कि बजह का इनके चाचाओं ने इसका भरपूर फायेदा उठाया और बहुत ही जल्द बाबर को गद्दी से हटा दिया.
फिर काफी दिनों के बाद बाबर ने कुछ किसान और रिलेटिव के साथ मिलकर सन 1496 में उजबेक के शहर समरकंद पर हमला बोल दिया और करीब 7 महीनों के बाद उन्होंने जीत हासिल कर ली.
बाबर ही वो शख्स था जिसने 1526 में भारत में मुग़लिया वंश की नीव रखी. कहते हैं कि अगर बाबर भारत ना आता तो आज हमारा देश ऐसा ना होता बल्कि आज हमारे पास ना तो आगरा का ताजमहल होता और ना ही दिल्ली की जामा मस्जिद जैसी बहुत सी खुबसूरत इमारतें होती.
बाबर बहुत ही बहादुर और शक्तिशाली बादशाह था जिसने एक मजबूत सेना बनाकर कई सारी लड़ाईयां जीती थीं और कई जगहों पर अपना राज्य कायम किया था. बाबर की सेना में तुर्की, फ़ार्सी, पश्तो, बर्लास के साथ साथ मध्य एशियाई कबीले के लोग भी शामिल थे जो बहुत ही बहादुर और निडर थे.
सन 1504 में बाबर ने अपनी सेना के साथ मिलकर हिन्दुकुश कि बर्फीली चोटियों को पार करके काबुल पर अपना शासन कायम किया था. जहाँ लगभग उसने 26 साल तक राज किया.
बाबर को चगताई भाषा, फ़ारसी, और तुर्की भाषा का भी ज्ञान था. कहा जाता है कि उस दौर में तुर्की भाषा के दो कवि बहुत मशहूर हुए हैं जिनमे एक बाबर ही था. बाबर एक ऐसा पहला बादशाह था जिसने अपनी जीवनी खुद लिखी है जिसे बाबरनामा कहते हैं. बाबरनामा फ़ारसी भाषा में लिखा गया था.
बाबर ने अपने जीवन में कई युद्द किये थे जिनमे ज्यादातर उसकी जीत ही होती थी क्यूंकि बाबर के पास कुशल सेना थी जो निशानेवाज़ी में भी बहुत आगे थी. उस समय युद्ध में सेना तीर कमान का भी इस्तेमाल करते थे. जिसमे सेना का निशाना होना एक अहम् भूमिका अदा करता था.
बाबर अपने साथ उस ज़माने में भी कुछ तोप का इस्तेमाल करता था. उसके पास कई बार ऐसा हुआ कि बाबर के पास सैनिक तो कम होते थे लेकिन फिर भी वह अपनी सूजबूझ से जीत ही जाता था
बाबर का भारत पर हमला
1519 से लेकर 1526 तक बाबर ने लगभग हिन्दूस्तान पर 5 बार हमला किया था. और आखिर में सन 1526 में वह पानीपत के मैदान में दिल्ली सल्तनत के आखिरी सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर, भारत में बाबर ने मुग़ल वंश का शासक कायम कर दिया.
बाबर एक बहुत ही होनहार और बहादुर बादशाह था जिसने पानीपत के युद्ध में जीत हासिल करने के बाद सन 1526 में ही उसने खानबा पर हमला किया और जीत हासिल कि उसके बाद बाबर ने चंदेरी को भी जीता और सन 1529 में बाबर ने आगरा को जीतकर अपने राज्य को सफल बना लिया. भारत में बाबर ने लगभग 5 साल तक ही राज किया था.
बाबर का इंतकाल
एक दिन बाबर बादशाह ने अपने बेटे हुमायूँ को संभल भेजा था वहां के हालात सुधारने के लिए लेकिन अचानक उनका बीटा हुमायूँ बीमार पड़ गया. और उसके बचने कि कोई उम्मीद बाकी ना रही लेकिन बाबर अपने पुत्र हुमायूँ से बहुत प्यार करता था .
वह किसी भी कीमत पे उसको खोना नहीं चाहता था. जब सारे हकीम लोगों ने जवाव दे दिया तो बाबर बहुत मायूस हुआ और उसने अल्लाह से दुआ मांगी के वह अपने बेटे के बदले अपनी कुर्वानी दे सकता है.
कहा जाता है कि अल्लाह ने बाबर कि यह दुआ कुबूल कर ली थी और धीरे धीरे मुग़ल बादशाह बाबर बीमार पड़ता गया और उसका बेटा ठीक होता गया.
सन 1530 में सिर्फ 48 साल की ही उम्र में बाबर की मौत हो गयी. और उनको आगरा में ही दफ़न कर दिया गया.
लेकिन मुग़ल बादशाह बाबर की बसियत के मुताबिक वह यह चाहते थे कि उनको काबुल में दफनाया जाये. उनकी इसी बसियत को पूरा करने कि वजह से उनके बेटे हुमायूँ ने लगभग 9 साल बाद उनको दुवारा काबुल ले जाकर दफनाया. उनका मकवरा काबुल और आगरा दोनों जगह मौजूद है.