Dahej Pratha Par Nibandh | दहेज़ प्रथा पर निबंध लिखिए

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प्रस्तावना:- दहेज़, भारत और इसके अलावा अन्य कई देशों में एक ऐसी प्राचीन परम्परा है जिसके तहत विवाह के दौरान दुल्हन के परिवार वाले दुल्हे को और उसके परिवार वालों को कीमती चीजें उपहार के रूप में देते हैं . इसमें रोजमर्रा की जरूरतों के सामान से लेकर मंहगे से मंहगे सामान तक शामिल होते हैं; जैसे गाड़ी, फर्नीचर, सोने चाँदी के आभूषण और नकद रूपया आदि.

पुराने ज़माने में शादी के समय लड़की वाले दहेज़ के रूप में ख़ुशी से बस कुछ जरूरत का सामान ही दिया करते थे . लेकिन समय बदलता गया लोगों की जरूरते बदलती गयी . फिर लोगों की सोच का बदलना भी स्वाभाविक था जिस कारण आज यह दहेज़ प्रथा एक कुप्रथा के रूप में बदल गयी . क्योंकि पहले लड़की वाले ख़ुशी से अपनी मर्जी से शादी के समय कुछ उपहार देते थे लेकिन अब लड़के वाले दहेज़ के रूप में अपनी पसंद के सामान की डिमांड करने लगे है .

दहेज़ प्रथा की समस्या

आप सोच रहे होंगे कि अमीर के पास देने के लिए बहुत कुछ होता है तो वे क्यों परेशान हैं . दोस्तों सच में यह दहेज़ प्रथा एक ऐसी कुप्रथा है जिससे अमीर गरीब दोनों परेशान हैं . क्योंकि एक गरीब आदमी जब अपनी बेटी की शादी करने के लिए तैयार होता है तो सोचता है कि इतना दहेज़ कहाँ से दूंगा . और जब एक अमीर आदमी अपनी बेटी की शादी करता है तो वह सोचता है कि आखिर दहेज़ दूँ तो दूँ कितना . क्योंकि उधर लड़के वालों की तरफ से डिमांड खत्म ही नहीं हो रही है .

वैसे तो दहेज़ का बुरा असर एक गरीब वर्ग में देखने को मिलता है . क्योंकि उनके पास कभी कभी ज्यादा कुछ दहेज़ देने के लिए नहीं होता है . ऐसे में लड़की की शादी करना बहुत मुश्किल हो जाता है . और कुछ लोगों की सोच यह भी रहती है कि अगर दहेज़ न दिया जाये तो उन्हें अच्छा वर नहीं मिलता है . जिसकी वजह से एक गरीब व्यक्ति भी अपनी बेटी के विवाह के लिए ऋण तक लेने को तैयार हो जाता है .

दहेज़ प्रथा का समाज पर प्रभाव

दहेज़ प्रथा एक ऐसा विवाह के दौरान का रीति रिवाज है जिसका असर पूरे समाज में देखने को मिलता है . लोगों ने दहेज़ देना और दहेज़ लेना यह अपना हक़ समझ लिया है . लड़की वाला दहेज़ देना अपनी जिम्मेदरी समझता है और वही लड़के वाला इसे अपना हक़ समझता है और तरह तरह की मांगे करने लगता है . इनकी मांगों को पूरा करने के लिए कभी कभी लड़की का परिवार इतना आर्थिक बोझ तले दब जाता है कि उठना मुश्किल हो जाता है.

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कुछ लोग विवाह के लिए व्याज पर इतना कर्ज ले लेते हैं कि फिर उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो जाती है . यह दहेज़ प्रथा कुछ लोगों को बुरी तरह तोड़ के रख देती है जिस कारण उनका रहन सहन भी बदल जाता है . और समाज में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है . यहीं पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी बेटी को समाज के दिखावे के लिए ज्यादा से ज्यादा दहेज़ देते हैं जिससे समाज में उनकी तारीफ़ होती है . ऐसी सोच के लोग इस प्रथा को और बढावा देते हैं जो कुछ लोगों के लिए यह प्रथा एक अभिशाप बन जाती है .

दहेज़ प्रथा का एक सबसे बुरा असर देखने को यह भी मिलता है कि शादी के बाद भी कुछ पति पत्नियों के बीच दहेज़ को लेकर लड़ाई झगडे होने लगते हैं . जो कभी कभी भयंकर रूप भी ले लेते हैं . इसके बाद कुछ लोगों की शादियाँ भो टूट जाती हैं और कुछ महिलाये दहेज़ को लेकर मानसिक और शारीरिक दबाव में भी रहती हैं .

दहेज़ प्रथा को रोकने के उपाय

ऐसा नहीं है कि सभी लोग दहेज़ के लालची होते हैं . समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दहेज़ के लेन देन के सख्त खिलाफ हैं . ऐसी सोच रखने वाले लोग न दहेज़ देते हैं और न लेते हैं हालाँकि ऐसे लोग आपको समाज में कम मिलेंगे . लेकिन ऐसे लोगों से उन लोगों को सीखना चाहिए जो दहेज़ के लालची हैं . विवाह के दौरान वर को चाहिए कि वधु पक्ष वालों से किसी भी हालात में किसी तरह की मांग न करें . बल्कि अपने दम पर शादी के बाद अपनी जरूरत की चीजें खुद ख़रीदे .

दहेज़ प्रथा को समाज में पूरी तरह रोकना तो मुश्किल है लेकिन काफी हद तक लोगो की सोच को बदल कर इस प्रथा को कम किया जा सकता है . भारत में दहेज़ प्रथा के खिलाफ कई कानून भी हैं जिनका उपयोग होना चाहिए . इस प्रथा के खिलाफ जगह जगह कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को जागरूक करना चाहिए और इसकी बुराई के बारे में लोगों को समझाना चाहिए .

उपसंहार

दहेज़ प्रथा एक ऐसी परम्परा है जो अब एक कुप्रथा में बदल चुकी है . इसे समाप्त करने के लिए सरकार और समाज को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए . किसी एक वर्ग के बदलने से ज्यादा कुछ नहीं होगा बल्कि समाज में सभी वर्ग को इसके खिलाफ उतरना चाहिए . और अपनी सोच दहेज़ लेने और देने के खिलाफ बनानी चाहिए तभी इसके बारे में कुछ हूँ सकता है .

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